I have wanted to do a translation for a really long time. Just a small one as an introduction hopefully its enchanting enough and draws you in to read it fully,
छायादार दरख़्त थे , था वहाँ का पानी निर्मल
जनकपुत्री ने भी वहाँ कभी किया था बसर ।
दर दर भटकता विरह कि आग में जलता था ,
प्रिये का दिया बाजू-बंद देख कर यादों में खोया करता,
कि आसाढ़ के दिन उसने देखा बादल इक पहाड़ी पर झूमता
मन कि आँखों ने देखा जैसे एक हाथी नदी में पानी पीने को झुकता ।
केतक के फूल जिन (बादलों) को देख कर फूलते हैं
यक्ष उस को देख कर सोच में पड़ा फिर कुछ देर बाद व्याकुल हो उठा
जिन वर्षा के मेघों को देख जब खुश दिल भी सम्मोहित होता हो
तो उस बेचारे का क्या हश्र जो मेहबूब से दूर एक पहाड़ पर रह रहा हो ।
सावन के बादल आने वाले थे, समूचे आकाश पे साम्राज्य बिछाते
गलियों गाँव शहर घूमने वाले, प्रिये के पास भी यही बादल जाने वाला थे
कुछ फूल चढ़ा कुछ मीठी बातें बोल यक्ष ने सोचा इनसे गुज़ारिश करूँ
तो अपनी प्रिये को अपना सन्देश भिजवा सकूँ ।
हवा पानी रौशनी और धूँ ध से बने ये बादल रूई के फाहे से थे
क्या कभी किसी कि बात किसी और तक पहुंचा सकते थे?
पर यह सब बिना सोचे समझे वह बादल से बात करने लगा
आशिक अपनी आशिक़ी में समझ बूझ सब भूल गया ।
अपने मालिक को नाखुश कर, उसने एक साल का वनवास पाया
अपनी प्रिये से बिछड कर, एक यक्ष रामगिरि पर रहने आयाछायादार दरख़्त थे , था वहाँ का पानी निर्मल
जनकपुत्री ने भी वहाँ कभी किया था बसर ।
दर दर भटकता विरह कि आग में जलता था ,
प्रिये का दिया बाजू-बंद देख कर यादों में खोया करता,
कि आसाढ़ के दिन उसने देखा बादल इक पहाड़ी पर झूमता
मन कि आँखों ने देखा जैसे एक हाथी नदी में पानी पीने को झुकता ।
केतक के फूल जिन (बादलों) को देख कर फूलते हैं
यक्ष उस को देख कर सोच में पड़ा फिर कुछ देर बाद व्याकुल हो उठा
जिन वर्षा के मेघों को देख जब खुश दिल भी सम्मोहित होता हो
तो उस बेचारे का क्या हश्र जो मेहबूब से दूर एक पहाड़ पर रह रहा हो ।
सावन के बादल आने वाले थे, समूचे आकाश पे साम्राज्य बिछाते
गलियों गाँव शहर घूमने वाले, प्रिये के पास भी यही बादल जाने वाला थे
कुछ फूल चढ़ा कुछ मीठी बातें बोल यक्ष ने सोचा इनसे गुज़ारिश करूँ
तो अपनी प्रिये को अपना सन्देश भिजवा सकूँ ।
हवा पानी रौशनी और धूँ ध से बने ये बादल रूई के फाहे से थे
क्या कभी किसी कि बात किसी और तक पहुंचा सकते थे?
पर यह सब बिना सोचे समझे वह बादल से बात करने लगा
आशिक अपनी आशिक़ी में समझ बूझ सब भूल गया ।